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परनारी राता फिरैं, चोरी बिढ़िता खाहिं । दिवस चारि सरसा रहै, अंति समूला जाहिं ॥1॥ भावार्थ - परनारी से जो प्रीति जोड़ते हैं और चोरी की कमाई खाते हैं, भले ही ...